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प्राणवान को साहसी समझा जाता है। पराक्रमी, पुरुषार्थी और जीवट का धनी। महाप्राण प्रतिभावान होते हैं और अल्पप्राण कहकर दीन-दुर्बलों, कायरों का तिरस्कार किया जाता है। वैभववान होने की तरह प्राणवान होना भी किसी के समर्थ सौभाग्यवान होने का चिन्ह है। ऐसों का वर्तमान सुव्यवस्थित होता है और भविष्य उज्जवल। ब्राह्मण व्यापी महाप्राण में से प्राण-साधना के द्वारा अपनी सूक्ष्म सत्ता में प्राणतत्व को इच्छित मात्रा में धारण करके अपना चेतना पक्ष बलिष्ठ बनाया जा सकता है। इससे शरीर की भी भोभा-समर्थता बढ़ती है।

The soul is considered courageous. Mighty, hardworking and rich in spirit. The aspirant are talented and the weak, the weak, the coward are scorned by calling them short-lived. Like being rich, being life-like is also a sign of someone being able to be fortunate. The present of such is organized and the future is bright. Out of the Brahman-wide Mahaprana, one can make one's consciousness side strong by imbibing the vital element in its subtle being in the desired quantity by means of prana-sadhana. Due to this, the power of the body also increases.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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