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संयत जीवन का आधार है कि हम परिश्रम तो करें, किन्तु विश्राम करना न भूलें। इससे शक्ति और शांति मिलती है। शरीर में हर समय टूटने और बनने की क्रिया होती रहती है। पुराने कोष टूटते और नवीन बनते रहते हैं। जब कार्यविधिक्य अथवा अथक परिश्रम के कारण टूटने का काम अधिक और बनने का काम कम होता है; उस समय हमारे रक्त में एक प्रकार की रासायनिक गंदगी मिलकर साथ परिभ्रमण करने लग जाती है। उस रासायनिक गंदे द्रव्य के न्यूनाधिक्य पर ही थकावट, सुस्ती और परेशानी निर्भर करती है।

The basis of a moderate life is that we work hard, but do not forget to take rest. It gives strength and peace. There is a process of breakdown and formation going on in the body all the time. Old treasures keep breaking down and new ones are made. When process or tireless work causes more breakage and less build-up; At that time, a kind of chemical dirt starts circulating in our blood together. Fatigue, lethargy and discomfort depend on the modulus of that chemically dirty substance.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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