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सार्थक प्रभावशीलता न तो हष्ट-पुष्ट शरीर से मिलती है, न सुंदर आकृति अथवा रूप-स्वरूप से, न धन दौलत से और न साधन-सुविधाओं से। इस प्रभावशीलता के आधार कुछ और गुण और व्यवहार हुआ करते हैं, जो मनुष्य के व्यक्तित्व और आचरण में चमकते हैं। ये गुण कुछ ऐसे विलक्षण नहीं होते, जिन्हें पाया अथवा विकसित नहीं किया जा सकता। उन्हें पाया, सीखा और अपने अंदर उपजाया भी जा सकता है। जो जब चाहे थोड़ी-सी सावधानी रखकर अपने अंदर उत्पन्न कर सकता है।

Meaningful effectiveness is obtained neither from a fit body, nor from beautiful shape or form, nor from wealth, nor from means and facilities. On the basis of this effectiveness are some other qualities and behavior, which shine in the personality and conduct of man. These qualities are not something unique that cannot be found or developed. They can be found, learned and cultivated within oneself. Whoever he wants can generate within himself with a little care.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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  • पहले जानो फिर मानो

    यदि आप ईश्‍वर के बारे में जानकारी चाहते हो तो उसकी बनाई हुई सृष्टि को देखो। ईश्‍वर भौतिक रूप से साकार रूप में किसी के पास नहीं आता। वह तो अपने भीतर ही है। उसकी लीला को देखा और समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए आप पानी व्यवस्था को ही देखें तो पता चलेगा कि कितना जबरदस्त उसका प्रबन्ध है। पानी के बिना...

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