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Arya Samaj Legal Marriage Annapurna Indore - 9302101186, 9300441615

पश्चिम में डार्हस्न का उद्भव जिज्ञासा एवं उत्सुकता के भाव से होता है और तर्क के साथ आगे बढ़ता है। इसमें विश्व जीवन की समस्याओं पर विचार होता है, जो एक स्तर तक समाधान की स्थिति में पहुँचा देता है।

आवश्यक सूचना को ध्यान से पढ़ें - इन्दौर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट का Recognized & Approved Legal केन्द्र केवल अन्नपूर्णा रोड पर दशहरा मैदान के सामने बैंक कॉलोनी में है। इंदौर में इसके अतिरिक्त ट्रस्ट का अन्य कोई Authorized मन्दिर या शाखा अथवा केन्द्र नहीं है। इसके अलावा किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा चलाये जा रहे किसी भी केन्द्र या शाखा के लिए अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट जिम्मेदार नहीं है।

आर्य समाज में सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं।
"आर्यसमाज बैंक कॉलोनी इन्दौर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारत सरकार नई दिल्ली के भारतीय पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। इन्दौर में आर्यसमाज मन्दिर बैंक कॉलोनी ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र आर्य समाज मन्दिर है। विवाह सम्बन्धी कार्यवाही करने से पूर्व आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बड़े हॉल या भवन अथवा मन्दिर या चमकदार ऑफिस को देखकर भ्रमित और गुमराह ना हों।

विशेष सूचना - Arya Samaj तथा Arya Samaj Marriage, Arya Samaj Mandir, Court Marriage, Arya Samaj Head Office तथा प्रादेशिक कार्यालय और इससे मिलते-जुलते नामों से इण्टरनेट पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो।

  1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

  2. वर-वधु दोनों को ट्रस्ट द्वारा निर्धारित प्रारूप में घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे।

  3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो।

  4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो।

  5. विधवा/विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है।

  6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए।

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आर्य समाज विवाह की प्रक्रिया - आर्य समाज विवाह पण्डित जी द्वारा वैदिक मन्त्रों से हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार सम्पन्न कराया जाता है जिसमें पूजा, हवन, सप्तपदी, हृदय स्पर्श, ध्रुव-दर्शन, सिन्दूर, आशीर्वाद आदि रस्में करायी जाती हैं । विवाह संस्कार के दौरान फोटो खीचें जाते हैं जो विवाह का दस्तावेजी साक्ष्य होता है । विवाह सम्पन्न होने के पश्चात् मन्दिर की ओर से आर्य समाज विवाह प्रमाण – पत्र प्रदान किया जाता है । आर्य समाज द्वारा प्रदान किया गया विवाह प्रमाण – पत्र एक विधिक पति – पत्नी होने का साक्ष्य होता है, जो पूरी तरह वैध और विधिक होता है तथा जो माननीय उच्चतम न्यायलय एवं उच्च न्यायालय द्वारा विधि मान्य है । आर्य समाज विवाह प्रमाण – पत्र के आधार पर विवाह पंजीयन कार्यालय में पंजीकृत कराया जा सकता है, जिसमें हमारे विधिक सलाहकार आपकी पूरी मदद करते हैं ।

प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज मन्दिर द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा का ध्यान रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे हमारे मन्दिर में विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके। साथ ही साथ उन्हें उनके माता-पिता या भाई द्वारा आनर किलिंग, हत्या, अपहरण जैसे जघन्य अपराधों से बचाया जा सके तथा प्रेमी युगलों को आत्महत्या के लिए मजबूर होने से रोका जा सके। जिससे हजारों प्रेमी युगलों की जान बच सके जो आये दिन मजबूर होकर ट्रेन के आगे कूदकर या फांसी लगाकर जान दे देतें हैं या उन्हें अपने ही माता-पिता या भाई के हाथों जान से हाथ धोना पड़ता है।

आर्य समाज मन्दिर से विवाह पूरी तरह विधिमान्य है - एक वैध पंजीकृत आर्य समाज मन्दिर से किया गया विवाह संस्कार पूरी तरह विधि मान्य है। आर्य समाज मंदिर में विवाह संस्कार आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट-1937 के अन्तर्गत वैदिक रीति द्वारा सम्पन्न कराया जाता है, जिसके ऊपर हिन्दू विवाह अधिनियम-1955 के प्रावधान भी लागू होते हैं। आर्य समाज मन्दिर द्वारा विवाह करना माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा मान्य है। हमारे आर्य समाज मन्दिर में विवाह संस्कार के दौरान वर (लड़का) व वधू (लड़की) की ओर से प्रस्तुत किये गये सभी दस्तावेजों जैसे आयु प्रमाण-पत्र, निवास प्रमाण-पत्र, शपथ-पत्र और विवाह संस्कार के दौरान खिंची गयी फोटो पूरी तरह सुरक्षित एवं गोपनीय रखी जाती है ताकि भविष्य में आवश्यकता पडने पर या विषम परिस्थितियों में किसी प्रकार के वाद-विवाद उत्पन्न होने की दशा में माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके और वैवाहिक स्थिति को स्पष्ट एवं प्रमाणित किया जा सके।

परिवार व समाज के लोगों का डर - प्रेम विवाह को भले ही कानूनी मान्यता मिली हुई है तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों को सुरक्षा एवं संरक्षण प्राप्त है । परन्तु प्रेम विवाह करने वाले युवाओं के दिलो में आज भी अपने परिजनों व समाज का ख़ौफ इस कदर है कि जैसे मानो प्रेम विवाह करना कोई अपराध या पाप हो। अगर मान लो किसी प्रेमी युगल ने घर से भागकर प्रेम विवाह कर लिया तो भी उनके दिल दिमाग में संशय बना रहता है कि उनकी शादी को समाज या परिवार मान्यता देगा या नहीं। झूठे मान सम्मान या जाति या दहेज के नाम पर नवविवाहित प्रेमी युगलों को जान से हाथ धोना पड़ता है और आनर किलिंग जैसे जघन्य अपराध का जन्म होता है, जिस पर माननीय उच्चतम न्यायालय प्रेम विवाह करने वाले युगलों की सुरक्षा को लेकर अत्यधिक गम्भीर व संजीदा है।

अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें -
(समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 तक)

राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर
दिव्ययुग परिसर
बैंक कॉलोनी, अन्नपूर्णा रोड़
इन्दौर (म.प्र.) 452009
फोन : 0731-2489383, 9302101186
www.aryasamajindore.com 

National Administrative Office
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Arya Samaj Mandir Annapurna Indore
Narendra Tiwari Marg
Near Bank of India

Opp. Dussehra Maidan
Annapurna, 
Indore (M.P.) 452009
Tel. : 0731-2489383, 9302101186
www.allindiaaryasamaj.com 

In the West, Darhson is born out of curiosity and curiosity and proceeds with reason. In this, the problems of world life are considered, which reaches to a level of solution
ज्ञान की यह अवस्था द्वैत की होती है, इसके आगे नहीं बढ़ पाती, लेकिन भारत में उसकी शुरुआत जिज्ञास मात्र से अधिक जीवन-पहेली के समाधान की दृष्टि से हुई, जिसके पीछे मुमुक्षुत्व एवं दुःख से आत्यंतिक निवृत्ति का भाव था। यहाँ दर्शन का उद्देश्य महज ज्ञान की प्राप्ति नहीं, बल्कि ज्ञान की अनुभूति है, जिससे जीवन की समस्याओं का संपूर्ण समाधान प्राप्त हो सके। यह बुद्धि से अधिक अंतर्प्रज्ञा (इंट्यूशन) पर आधारित है।

This state of knowledge is that of duality, it cannot go beyond it, but in India it started with a view to solve the riddle of life more than mere curiosity, behind which there was a sense of mumukshutva and complete retirement from sorrow. Here the aim of philosophy is not merely the attainment of knowledge, but the realization of knowledge, so that a complete solution to the problems of life can be obtained. It is based more on intuition than intelligence.
अपने आस-पास का वातावरण स्वच्छ रखना चाहिए। कहावत है - स्वच्छता में ईश्वर निवास करते हैं और दुर्भावनाएं नहीं पनपतीं। उसका मन पूरी तरह से अध्ययन में लगे, इसलिए स्वच्छता अति आवश्यक है। भोजन अधिक से अधिक प्राकृतिक रूप में ही लेना चाहिए, प्रसन्नचित होकर खाना चाहिए।
The environment around you should be kept clean. There is a saying - God resides in cleanliness and ill will does not flourish. His mind is completely engaged in studies, so cleanliness is very important. Food should be taken as much as possible in natural form, should be eaten happily.
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