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नुक्ताचीनी, जाँच-पड़ताल और विधि के झगड़े हैं, तो साथी-संबंधियों की प्रतिगामिता आड़े आती है; झंझट खड़ा होता है। ऐसे लोग अवांछनीय मान्यताओं के व्यर्थता समझते हुए भी पुराने अभ्यास और साथियों के समर्थन में उसे छोड़ने की हिम्मत नहीं करते; जो समय, श्रम और धन की बरबादी के अतिरिक्त लाभदायक किसी भी दृष्टि से नहीं है। कइयों का तो प्राचीनता का मोह कट्टरता के स्तर तक जा पहुँचता है और प्रचलित ढर्रे का जोरदार समर्थन करते हैं; भले ही इसके लिए उनके पास तर्क और तथ्यों का आधार तनिक भी न हो।

There are conflicts of opinion, investigation, and law, then the regressiveness of mates comes in the way; Trouble ensues. Such people do not dare to leave behind the old practice and support of peers, even though they understand the futility of undesirable beliefs; Which is not beneficial in any way except wastage of time, labor and money. For many, the fascination for antiquity reaches the level of fanaticism and strongly support the prevailing practice; Even if they have no basis for logic and facts for this.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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