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किसी भी कार्य को एक ही तरीके से बार-बार करना ही आदत पड़ने का मूल कारण है। फिर हम चाहें या न चाहें। आदत एक रस्सी की तरह होती है, जिसका एक-एक धागा हम बुनते हैं और उसके बाद रस्सी का रूप लेकर भले ही धागे हमें ही बाँध लेते हैं। चिंतित व्यक्ति सदैव निराशावादी और भयग्रस्त होता है। यदि चिंताग्रस्त व्यक्ति चिंता की आदत को छोड़ने की बार-बार कोशिश करें तो वह कुछ समय के अभ्यास से इस रोग पर काफी विजय प्राप्त कर सकता है।

Doing any work in the same way over and over again is the root cause of habit. Then whether we want it or not. Habit is like a rope, each thread of which we weave and after that, even though the thread takes the form of a rope, it binds us. An anxious person is always pessimistic and fearful. If a person with anxiety tries again and again to quit the habit of worrying, then with some time practice, he can overcome this disease a lot.

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