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ध्यानयोग - खोई हुई वस्तु को ढूँढने का एक ही तरीका है- ध्यान जेब में सबेरे चले थे तब पचास रूपये थे। रात को जेब पर हाथ गया तो देखा कि जेब खाली है। चिंता हुई और हो-हल्ला मचा। किसने रूपये निकाले ? किसने चोरी की ? उत्तेजित और अशांत मन किसी और पर दोषारोपण करने के अतिरिक्त और कुछ कर ही नहीं सकता। जब चित्त शांत हुआ तब याद किया की सबेरे से लेकर किन-किन से भेंट हुई और कब, कहाँ रुपयों की आवश्यकता पड़ी। सबेरे से शाम तक का तारतम्य मिलाया तो याद आया कि माकन मालिक रास्ते में मिला था। उसने किराया माँगा, सो जेब में रखे पचास रूपये निकालकर उसे दे दिए थे। चिंता का समाधान हो गया। 

Dhyana Yoga - There is only one way to find a lost item - when I went to meditation in the morning, I had fifty rupees. When he went to the pocket at night, he saw that the pocket was empty. There was concern and there was an uproar. Who took the money? who stole An agitated and disturbed mind cannot do anything other than lay the blame on someone else. When the mind became calm, he remembered whom he met since morning and when, where money was needed. When I matched the morning till evening, I remembered that the landlord had met her on the way. He asked for rent, so took out fifty rupees kept in his pocket and gave it to him. Concern resolved.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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