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बच्चे भी बालू का महल बनाते हैं। वह बन नहीं पाता कि टहनियाँ तोड़कर बगीचा लगाना आरंभ कर देते हैं। वह भी जब तक पूरा नहीं हो पाता कि तीसरा आरंभ करते हैं और फिर चौथे-पाँचवें का सिलसिला चला देते हैं। मन की उतावली चाहती है कि जिस प्रकार चिंतन में जल्दबाजी मची रहती है; उसी उतावली से काम भी बनते चले जाएँ। पानी के बुलबुले उठते तो बहुत जल्दी हैं, पर उन्हें फूटने में भी देर नहीं लगती। यह खेल खिलवाड़ की दृष्टि से तो ठीक है, पर महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जितना परिश्रम और समय चाहिए उसे देखते हुए उतावली का कोई मूल्य नहीं है।

dayanand saraswati

Children also build sand castles. It is not possible that he starts planting a garden by plucking the twigs. Until that too is not completed that the third one starts and then the fourth-fifth cycle continues. The urgency of the mind wants that just as there is haste in contemplation; With the same haste, keep getting things done. Water bubbles rise very quickly, but they do not take long to burst. This game is fine from the point of view of playing, but considering the amount of hard work and time required for important tasks, there is no value in haste.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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