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अक्षत यानी चावल हमारी संस्कृति एवं परंपरा का अभिन्न अंग रहे हैं। पूजन की थाली हो या फिर भोजन की थाली प्राचीन काल से ही अक्षत की इनमें विशेष महत्ता रही है। देश का कोई भी क्षेत्र हो प्रत्येक पूजन-अनुष्ठान में कृषि संस्कृति की छवि दिखाई देती है। यव (जौ), गोधूम (गेंहूँ), मग्द (मुंग), शालिधान्य (साँवा, अक्षत), धनिया, ईख (गुड़ या रस रूप में), तिल, ये मांगलिक सप्तधान्य कहे जाते हैं तथा प्राचीन काल से ही व्यवहार में लाये जाते हैं। यजुर्वेद में यज्ञ के फल के रूप में इन धान्यों को प्राप्त करने की प्रार्थना की गई है। सम्पूर्ण भारत में भोजन में अनिवार्य रूप से सम्मिलित होने वाला आनाज चावल है। पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में भी इसे देखा जा सकता है। भात खिचड़ी, पुलाव के रूप में तो प्रयोग किया जाता ही है, दक्षिण भारत में इडली, डोसा के रूप में इसका अलग ही रूप प्रसिद्ध है। मिष्ठान्न के रूप में अनर से, केसरिया भात, खीर में प्रयोग किया जाता है, तो लवण युक्त चीले, पापड़, घुसके, बड़े (पकोड़े) के रूप में चटखारे लेकर खाया जाता है।

Akshat means rice has been an integral part of our culture and tradition. Whether it is a plate of worship or a plate of food, Akshat has had special importance in these since ancient times. Irrespective of the region of the country, the image of agricultural culture is visible in every worship-ritual. Yav (Barley), Godhum (Wheat), Magad (Mung), Shalidhanya (Sawwa, Akshat), Coriander, Sugarcane (Jaggery or juice), Sesame, these are called Manglik Saptadhanya and are used since ancient times. Are. In Yajurveda, prayer has been made to get these grains as the fruit of Yagya. Rice is an essential grain included in the diet throughout India. It can also be seen as an important link that connects the entire country. While rice is used in the form of Khichdi and Pulao, its different forms like Idli and Dosa are famous in South India. Pomegranate is used as a sweet dish in saffron rice and kheer, while it is eaten with salt in the form of cheela, papad, ghuske, bade (pakoras).

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