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गीले-शिकवे एवं शिकायतों से भरे मन से कोई बड़ा कार्य नहीं हो सकता। ऐसी मनःस्थिति परदोषरोपण एवं आत्मप्रवंचना में ही उलझी रह जाती है, जिस कारण बेशकीमती समय दूसरों को निंदा, आलोचना, चुगली एवं वाद-विवाद में ही बीत जाता है।

वेलेनटाइन डे से एक सप्ताह पहले दायर याचिका में तमिलनाडु सरकार को यह आदेश देने का अनुरोध किया गया था कि वह पंजीकरण, पुलिस और मंदिर अधिकारियों को युवक-युवती के माता-पिता की उपस्थिति और सहमति के बिना शादी नहीं कराने का निर्देश दें। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और अन्य न्यायधीशों ने ऐसा निर्देश देने की संभावना से इनकार किया और कहा कि यह अदालत की ओर से कोई कानून बनाने जैसा कदम होगा। न्यायाधीशों ने कहा कि बालिग लड़के-लड़कियों को अपना साथी चुनने का पूरा अधिकार है। अदालत उसमें दखल नहीं दे सकती। यह जनहित याचिका के. के. रमेश ने दायर की थी।
मदुरै – 8 फरवरी, 2015 । मद्रास हाई कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें अनुरोध किया गया था कि माता-पिता की मर्जी के बिना प्रेम विवाह कराने से अधिकारियों को रोका जाए। याचिका में कहा गया था कि शादी के मौके पर दंपती के मां-बाप की मौजूदगी सुनिश्चित की जाए ताकि ऑनर किलिंग के नाम पर होने वाली हत्याओं पर अंकुश लगाया जा सके।

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The petition, filed about a week ahead of Valentine's Day on February 14, had sought a direction to the Tamil Nadu Government to issue a circular instructing the registration, police and temple officials not to perform marriages without insisting on the personal appearance and consent of the parents of the girl and the boy.
Madras HC declines PIL against love marriages without parents' consent Chief Justice Sanjay Kishan Kaul and Justice S Tamilvanan ruled out the possibility of issuing such a direction, saying it would amount to the court making a new law. The judges said a major boy or girl had every right to choose their partner and the court could not intervene.
would amount to the court making a new law. The judges said a major boy or girl had every right to choose their partner and the court could not intervene.
Madurai: Feb 08, 2015. Madras High Court on Saturday declined to entertain a PIL petition which sought to forbear officials from solemnising love marriages without the consent and presence of parents of the couples to check honour killings.

Madras HC declines PIL against love marriages without parents' consent | Arya Samaj Mandir Indore 9302101186 | Madras High Court on Saturday declined to entertain a PIL petition which sought to forbear officials from solemnising love marriages without the consent and presence of parents of the couples to check honour killings.
No great work can be done with a mind full of wet complaints and complaints. Such a state of mind remains entangled in self-blame and self-deception, due to which precious time is spent in condemnation, criticism, backbiting and debate with others.
Official website of Arya Samaj Indore | Arya Samaj Pandits in Indore | Traditional Activities in Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Traditions | Arya Samaj Marriage act 1937.
कर्त्तव्यनिष्ठ अपनी अन्तःप्रेरणा को ईश्वर की ध्वनि मानते हुए एकला ही अपनी मंजिल की ओर बढ़ा करते हैं, चाहे इसके लिए पुरे विश्व का उपहास, विरोध या प्रताड़ना का सामना क्यों न करना पड़े। ऐसे ही अंतःप्रेरित लोग समय का सही सदुपयोग कर पाते हैं और देर-सवेर दुनिया के विरोध के स्वर भी अंततः मंद पड जाते हैं बल्कि जब संसार को ऐसे नैष्ठिक कदमों के औचित्य का एहसास हो जाता है, तो वे स्वर्ग ही फिर उसे राह देते दीखते हैं।
Those who are dutiful consider their intuition as the voice of God and single-handedly move towards their destination, even if they have to face ridicule, opposition or harassment from the whole world. Such inspired people are able to make the right use of time and sooner or later the voices of opposition to the world eventually subside, rather when the world realizes the justification of such ethical steps, then heaven itself seems to give way to it. Are.
Arya Samaj and Vedas | Vedas | Maharshi Dayanand Saraswati | Arya Samaj in India | Arya Samaj and Hindi | Vaastu Correction Without Demolition | Arya Samaj Mandir Marriage Indore Madhya Pradesh | Arya Samaj Mandir Indore
पर्फेक्शनिज़्म अर्थात पूर्णतावादी मानसिकता भी समय की बर्बादी की ओर ले जाने वाला एक कारक है, क्योंकि इसके कारण व्यक्ति स्वयं से कुछ अधिक ही आशा-अपेक्षाएँ लगाए रहता है, जो प्रायः पूरा नहीं हो पातीं और ऐसे में व्यक्ति स्वयं से गहरा असंतोष पाले बैठता है और दूसरों के प्रति भी गहरे मलाल की स्थिति में रहता है। इस मनःस्थिति में कोई व्यावहारिक योजना नहीं बन पाती, जो ठोस उपलब्धि को अंजाम दे सके, बल्कि कल्पना व योजना स्तर पर ही बातें उलझी रह जाती हैं।
Perfectionism is also a factor leading to wastage of time, because due to this, a person keeps high expectations from himself, which are often not fulfilled and in such a situation, the person develops deep dissatisfaction with himself. And also remains in a state of deep remorse towards others. In this state of mind, no practical plan can be made, which can lead to concrete achievement, rather things remain confused at the level of imagination and planning.

वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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