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एक बार आचार्य चाणक्य कहीं जा रहे थे कि तभी उनकी कुछ खेलते हुए बच्चों पर नजर पड़ी। उन छोटे बच्चों में एक बचा ऐसा था, जो खेल में अन्य सभी बच्चों का नेतृत्व कर रहा था। वह एक शासक की तरह बच्चों को आदेश दे रहा था। चाणक्य ने उस बच्चें में भविष्य के एक कुशल शासक को पहचान लिया। बड़े होने पर वही बालक चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से विख्यात हुआ। बच्चे गुलाब की तरह खिल सकें, इस हेतु हमें एक कुशल माली की भूमिका निभानी चाहिए। हमें उनकी सही देख-भाल करनी चाहिए। हमारी एक आँख सुधार की तो दूसरी दुलार की होनी चाहिए। हमें उन्हें खिलने का पूरा अवसर व वातावरण प्रदान करना चाहिए।

Once Acharya Chanakya was going somewhere when he saw the children playing something. Among those little kids there was one left who was leading all the other kids in the game. He was giving orders to the children like a ruler. Chanakya recognized a future efficient ruler in that child. When he grew up, the same child became famous by the name of Chandragupta Maurya. We should play the role of a skilled gardener so that children can bloom like roses. We should take proper care of them. We should have one eye for improvement and the other for caress. We should provide them full opportunity and environment to bloom.

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