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कार्य-संस्कृति पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का समाधान मानवीय मनोविज्ञान में सन्निहित है। मनुष्य एक विचारशील प्राणी है और उसके विचारों के पीछे इसका अपना नजरिया, विश्वास, आदर्श और परिवेश का प्रभाव कार्य करता है। भारतीय धर्म सिद्धांतों में कहा गया है कि जीवन की नींव श्रद्धा और विश्वास से बनी है। सारा संसार विश्वास से चलता है, धर्म से और विज्ञान तर्क से चलायमान है। जिस प्रकार जीवन में श्वास होता है, उसी तरह समाज और संसार में विश्वास का स्थान है।

The solution to the ill effects of work culture lies in human psychology. Man is a thinking creature and the influence of his own attitude, beliefs, ideals and environment works behind his thoughts. Indian religious principles state that the foundation of life is built on faith and belief. The whole world runs on faith, religion and science run on logic. As there is breath in life, in the same way there is a place of faith in the society and the world.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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  • पहले जानो फिर मानो

    यदि आप ईश्‍वर के बारे में जानकारी चाहते हो तो उसकी बनाई हुई सृष्टि को देखो। ईश्‍वर भौतिक रूप से साकार रूप में किसी के पास नहीं आता। वह तो अपने भीतर ही है। उसकी लीला को देखा और समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए आप पानी व्यवस्था को ही देखें तो पता चलेगा कि कितना जबरदस्त उसका प्रबन्ध है। पानी के बिना...

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  • महर्षि दयानन्द का शुद्ध चिन्तन

    ऋषि दयानन्द ने अपना सारा जीवन गुरु को दिए गए वचनों का पालन करने में अर्पित कर दिया। उनका चिन्तन शुद्ध वैदिक था। उन्होंने भ्रम, अंधविश्‍वास व कुरीतियों को दूर करने का सदैव प्रयास किया। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश जैसा अमर ग्रन्थ लिखकर अनेक रूढियों और भ्रान्तियों को दूर किया। इसके अतिरिक्त...

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  • सफल जीवन की इच्छा

    प्रत्येक मनुष्य सफल और सार्थक जीवन तथा आनन्द और प्रसन्नता से भरा जीवन चाहता है। प्रकृति में आनन्द सर्वत्र बिखरा पड़ा है, पर उसे समेटने वाला जो मन होना चाहिए, वह मन हमारे पास नहीं है। भगवान ने हमारे आनन्द के लिए और हमारे जीवन को खुशहाल बनाने के लिये ही सृष्टि की रचना की है। प्रकृति दोनों हाथ फैलाकर...

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