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हम जल का दोहन करना तो जानते हैं, किंतु उसके संरक्षण में हमारी रूचि जवाब देने लगती है। हम यह भी जानते हैं कि कुछ घंटे या कुछ दिनों तक भूखे तो रहा जा सकता है, पर पानी पिए बगैर कुछ दिनों के बाद जीना भी मुमकिन नहीं है। फिर भी अफ़सोस की बात है कि हम जल का दुरूपयोग एवं उसकी उपेक्षा करने के आदि हो गए हैं। अब समय की माँग है कि जल संसाधनों के प्रबंधन को हमने निजी जीवन ही नहीं, सामाजिक सरोकार से जोड़कर आगे कदम बढ़ाना चाहिए तथा इसके लिए स्थायी तरीके खोजने चाहिए। वहीँ स्थायी जल प्रबंधन की रणनीति में भारत की युवा शक्ति का समुचित निवेश करना चाहिए।

We know how to exploit water, but our interest in conserving it starts responding. We also know that one can be hungry for a few hours or a few days, but it is not possible to live after a few days without drinking water. Still, it is a pity that we have become accustomed to misuse and neglect of water. Now the need of the hour is that we should move forward by connecting the management of water resources not only with private life but also with social concern and should find sustainable ways for it. Wherein India's youth power should be properly invested in the strategy of sustainable water management.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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