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रस्सी से जब कोई गाय को प्रेमपूर्वक बांधता है, उसे दुलारता है, दाना-चारा खिलाता है, तब वह बदले में अपना अमृतमय दूध उसे देती है। इसी प्रकार प्रातःकाल सद्गृहस्थ के घर भिक्षार्थ आने वाले हे अतिथि-प्रवर ! जब सद्गृहस्थ आपको धन देकर प्रेम-पाश में बांधता है, तब यद्यपि ऊपर से देखने में उसका धन उसके पास से जा रहा होता है, पर वस्तुतः तो उसके पास धन आता है। गाय को जैसे जितने मूल्य का पदार्थ खिलाया-पिलाया जाता है, उससे कई गुणा अधिक मूल्य का दूध वह प्रतिफल में देती है, वैसे ही अतिथि-सत्कार करने वाले को आतिथ्य में व्यय किये गये धन से कई गुणा अधिक धन प्रतिफल में प्राप्त हो जाता है। वह उत्तम गौओ का स्वामी, उत्तम हिरण्य का स्वामी और उत्तम अश्वों का स्वामी हो जाता है। इन्द्र प्रभु उसे बड़ी आयु प्रदान करता है।

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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  • पहले जानो फिर मानो

    यदि आप ईश्‍वर के बारे में जानकारी चाहते हो तो उसकी बनाई हुई सृष्टि को देखो। ईश्‍वर भौतिक रूप से साकार रूप में किसी के पास नहीं आता। वह तो अपने भीतर ही है। उसकी लीला को देखा और समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए आप पानी व्यवस्था को ही देखें तो पता चलेगा कि कितना जबरदस्त उसका प्रबन्ध है। पानी के बिना...

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    ऋषि दयानन्द ने अपना सारा जीवन गुरु को दिए गए वचनों का पालन करने में अर्पित कर दिया। उनका चिन्तन शुद्ध वैदिक था। उन्होंने भ्रम, अंधविश्‍वास व कुरीतियों को दूर करने का सदैव प्रयास किया। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश जैसा अमर ग्रन्थ लिखकर अनेक रूढियों और भ्रान्तियों को दूर किया। इसके अतिरिक्त...

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  • सफल जीवन की इच्छा

    प्रत्येक मनुष्य सफल और सार्थक जीवन तथा आनन्द और प्रसन्नता से भरा जीवन चाहता है। प्रकृति में आनन्द सर्वत्र बिखरा पड़ा है, पर उसे समेटने वाला जो मन होना चाहिए, वह मन हमारे पास नहीं है। भगवान ने हमारे आनन्द के लिए और हमारे जीवन को खुशहाल बनाने के लिये ही सृष्टि की रचना की है। प्रकृति दोनों हाथ फैलाकर...

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