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पाश्चात्य देशों में परिवार संस्था को ही नष्ट कर डालने का प्रयत्न चल रहा है। वे रोग के साथ रोगी को भी समाप्त कर रहे हैं। वहाँ वयस्क होते ही लड़कों को माता-पिता का आश्रय छोड़कर स्वावलंबी बनना पड़ता है और अपना अलग घर बसाना पड़ता है। इस प्रकार स्त्री और उसके छोटे बच्चों का ही परिवार रह जाता है। हमारे यथार्थ शत्रु तीन हैं - दरिद्रता, रोग और मूर्खता। वे वीर धन्य हैं, जो इन तीनों के विरुद्ध युद्ध छेड़ते हैं। वे मानवता के यथार्थ उपासक और हमारे सच्चे सेनानायक हैं।

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Efforts are on to destroy the family institution itself in the western countries. They are also terminating the patient with the disease. As soon as they become adults there, the boys have to leave the shelter of their parents and become independent and have to settle down in their own separate home. In this way only the family of the woman and her young children remains. Our real enemies are three - poverty, disease and stupidity. Blessed are the heroes who wage war against these three. He is the true worshiper of humanity and our true commander.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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