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अध्यात्म विदया के ज्ञान बल पर स्वामी रामतीर्थ अपने को बादशाह ही कहा करते थे और वैसा ही उन्होंने जीवन जिया। यह ज्ञान, रहस्य-सम्राट है। यह अति पवित्र और परम उत्तम ज्ञान है। यह अत्यन्त सुख देने वाली और प्रत्यक्ष फल देने वाली विद्या है। और साधन में बड़ी सुगम है। इस विद्या को जानकर श्रद्धालु मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं, किन्तु जिनकी इस धर्म की महिमा पर श्रद्धा नहीं है वे मृत्यु संसार के सागर में लौटते रहते हैं अर्थात्त बार-बार जन्मते मरते रहते हैं।

Swami Ramteerth used to call himself a king on the strength of spiritual knowledge and he lived his life like that. This is knowledge, the mystery-emperor. This is the most sacred and supreme knowledge. This is a knowledge that gives immense pleasure and gives visible results. And it is very easy in the means. By knowing this knowledge, devotees can attain salvation, but those who do not have faith in the glory of this religion, they keep returning to the ocean of death, that is, they keep on being born and dying again and again.

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वेद ज्ञान

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दिव्ययुग

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  • पहले जानो फिर मानो

    यदि आप ईश्‍वर के बारे में जानकारी चाहते हो तो उसकी बनाई हुई सृष्टि को देखो। ईश्‍वर भौतिक रूप से साकार रूप में किसी के पास नहीं आता। वह तो अपने भीतर ही है। उसकी लीला को देखा और समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए आप पानी व्यवस्था को ही देखें तो पता चलेगा कि कितना जबरदस्त उसका प्रबन्ध है। पानी के बिना...

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    ऋषि दयानन्द ने अपना सारा जीवन गुरु को दिए गए वचनों का पालन करने में अर्पित कर दिया। उनका चिन्तन शुद्ध वैदिक था। उन्होंने भ्रम, अंधविश्‍वास व कुरीतियों को दूर करने का सदैव प्रयास किया। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश जैसा अमर ग्रन्थ लिखकर अनेक रूढियों और भ्रान्तियों को दूर किया। इसके अतिरिक्त...

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