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संतान के जन्म से पूर्व ही उसके माता-पिता को संतान के शिक्षण की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। उन्हें स्वयं के जीवन एवं घर-परिवार के वातावरण को इसके उपयुक्त बनाना पड़ता है।
 

Even before the birth of the child, his parents have to take the responsibility of the education of the child. They have to make their own life and home-family environment suitable for it.
आर्य समाज में सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं।
"आर्यसमाज बैंक कॉलोनी इन्दौर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारत सरकार नई दिल्ली के भारतीय पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। इन्दौर में आर्यसमाज मन्दिर बैंक कॉलोनी ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र आर्य समाज मन्दिर है। इन्दौर में इसके अतिरिक्त ट्रस्ट का अन्य कोई आर्यसमाज मन्दिर या शाखा नहीं है। विवाह सम्बन्धी कार्यवाही करने से पूर्व आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बड़े हॉल या भवन अथवा मन्दिर या चमकदार ऑफिस को देखकर भ्रमित और गुमराह ना हों।
विशेष सूचना- Arya Samaj तथा Arya Samaj Marriage, Arya Samaj Mandir, Court Marriage, Arya Samaj Head Office तथा प्रादेशिक कार्यालय और इससे मिलते-जुलते नामों से इण्टरनेट पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो।

  1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

  2. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे।

  3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो।

  4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो।

  5. विधवा/विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है।

  6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए।

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आर्य समाज मन्दिर से विवाह पूरी तरह विधिमान्य है - एक वैध पंजीकृत आर्य समाज मन्दिर से किया गया विवाह संस्कार पूरी तरह विधि मान्य है। आर्य समाज मंदिर में विवाह संस्कार आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट-1937 के अन्तर्गत वैदिक रीति द्वारा सम्पन्न कराया जाता है, जिसके ऊपर हिन्दू विवाह अधिनियम-1955 के प्रावधान भी लागू होते हैं। आर्य समाज मन्दिर द्वारा विवाह करना माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा मान्य है। हमारे आर्य समाज मन्दिर में विवाह संस्कार के दौरान वर (लड़का) वधू (लड़की) की ओर से प्रस्तुत किये गये सभी दस्तावेजों जैसे आयु प्रमाण-पत्र, निवास प्रमाण-पत्र, शपथ-पत्र और विवाह संस्कार के दौरान खिंची गयी फोटो पूरी तरह सुरक्षित एवं गोपनीय रखी जाती है ताकि भविष्य में आवश्यकता पडने पर या विषम परिस्थितियों में किसी प्रकार के वाद-विवाद उत्पन्न होने की दशा में माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके और वैवाहिक स्थिति को स्पष्ट एवं प्रमाणित किया जा सके।

राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा
नरेन्द्र तिवारी मार्ग
बैंक ऑफ़ इण्डिया के पास
दशहरा मैदान के सामने
बैंक कॉलोनी, इन्दौर (म.प्र.) 452009
फोन : 0731-2489383, 9302101186
www.aryasamajindore.com

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National Administrative Office
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Arya Samaj Mandir Annapurna
Narendra Tiwari Marg
Near Bank of India
Opp. Dussehra Maidan
Bank Colony, Indore (M.P.) 452009
Tel.: 0731-2489383, 9302101186
www.aryasamajmarriagehelpline.com 


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पुराणों में कथा है कि भगवन श्रीकृष्ण एवं उनकी लीला सहचरी रुक्मणि ने अच्छी संतान के लिए हिमालय में शिव आराधना करते हुए तप-साधना की थी। देवी अंजनी ने भी महावीर हनुमान के लिए तप किया था। शिवाजी ने एवं राणाप्रताप की माताओं ने भी यही किया था ऐसा कहा जाता है।
There is a story in the Puranas that Lord Krishna and his Leela companion Rukmani did penance while worshiping Shiva in the Himalayas for a good child. Goddess Anjani also did penance for Mahavir Hanuman. It is said that Shivaji and the mothers of Rana Pratap did the same thing.
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