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संगठन में ही शक्ति है- यह बात आपने भी जरूर सुनी होगी। संघर्ष द्वारा आगे बढ़ने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के लिए यह बात बहुत मायने रखती है। आपका किसी भी क्षेत्र से संबंध हो, यदि आप एकता के मोल को समझते हैं, तो आपको आगे बढ़ने से कोई भी रोक नहीं सकता। इसलिए सभी को मिल-जुलकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।

फूल अलग-अलग डालियों में लगे हों, तो हालांकि खूबसूरत लगते हैं, मगर उनकी खुशबु तक कई गुना बढ़ जाती है, जब एक साथ किसी धागे में गूंथकर हार की शक्ल ले लेते हैं और किसी के गले की शोभा बढ़ाते हैं। बिखरे हुए मोलियों को एक साथ किसी भी धागे में पिरोकर हार के रूप में धारण करने की शोभा भी कुछ अलग ही है। मेरे कहने का मतलब है कि एकता, मिल-जुलकर साथ रहने की भावना सदैव सुखदायी होती है। यदि हम गांठ बांध लें, तो अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ सकते हैं।

एकता के बल पर असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है, जबकि एकता के अभाव में आसान लक्ष्य भी पहुंच से बाहर हो जाता है। रामायण में ऐसा वर्णन मिलता है कि समुद्र की लंबाई सौ योजन अर्थात चार सौ कोस थी। इतने बड़े समुद्र को लांघकर लंका पहुंच पाना असंभव है- रावण इसी अहंकार में फुला हुआ था। मगर श्रीराम की वानरी सेना ने इस असंभव को भी संभव कर दिखाया। वानर-भालुओं ने मिल-जुलकर चार सौ कोस लंबे समुद्र पर पुल बन लिया। और उसी पुल से होकर श्रीराम की सेना लंका पहुंच गयी। लंका में पहुंचने के बाद राम-रावण के बीच संग्राम हुआ और आततायी रावण मारा गया। इसी प्रकार धार्मिक ग्रंथों में जगह-जगह पर और भी कई ऐसे प्रसंगों का वर्णन आता है, जिनमे एकता की वजह से कामयाबी हाथ लगी।
Motivational speech on Vedas by Dr. Sanjay Dev
वेद कथा -1 | Explanation of Vedas & Dharma | मरने के बाद धर्म ही साथ जाता है।

संक्षेप में कहूं तो मिल-जुलकर काम करना, टीम वर्क में विश्वास ही हमारी कामयाबी का मूल रहा है। बीच में हमारे प्रोडक्ट भी मार्केट में आए, मगर कोई भी प्रोडक्ट मार्केट में टिक न सका। आज की तारीख में स्थिति यह यही कि हमारा प्रोडक्ट सबसे बेजोड़ है- नो कम्पीटीशन, नो कॉम्पिटिटर।

मुझे इस बात से इंकार नहीं कि हमारे मुकाबले में मार्केट में जो प्रोडक्ट आए, वे प्रोडक्ट भी टिक सकते थे। मगर तभी मार्केट में जगह बना पता है, जब उसमें दम हो और इसके लिए जरूरी है अनुभवी व्यक्तियों की पूरी तरह समर्पित टीम। संभवतः ऐसी ही कोई कमी रही होगी, जिसकी वजह से लोगों ने बाकी प्रोडक्ट कबूल नहीं किए। मुझे इस बात को लेकर अपने ऊपर गर्व महसूस होता है कि मैं ऐसी टीम का लीडर जिसकी मेहनत की कद्र करीब-करीब पूरी दुनिया में होती। है यहां इन सारी बातों का जिक्र करने के पीछे मेरा मकसद आपको सिर्फ यह समझाना है कि एकता के सहारे ही हम आगे बढ़ सकते हैं। इसलिए नौकरी करते हों या अपना व्यवसाय हो, कर्यक्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए टीम वर्क में विश्वास रखें। कार्यस्थल पर जो भी सहकर्मी हों, उनके साथ मिलकर काम करें, एक-दूसरे की मदद करें, जरूरत पड़ने पर सहयोग लें, सहयोग करें। ऐसा करके आप जीवन बहुत आगे बढ़ सकते हैं।

annapurna arya samaj

यदि आप भी अपने अंदर एकता की भावना विकसित करके जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा रखते हों, तो मेने निम्नलिखित सुझावों पर विशेष ध्यान दें -
१. स्नेह-प्रेम के मोल को समझें। परिवार में, समाज में, दफ्तरों में सबके साथ स्नेह-प्रेम का संबंध रखें।
२. दूसरों में खामियों को नहीं बल्कि खूबियों की तलाश करके उन्हें अपनाएं और खामियों को नजरअंदाज कर दें।
३. जिस क्षेत्र से आपका संबंध हो, उस क्षेत्र के अनुभवी व्यक्तियों का विशेष सम्मान करें, उनसे संपर्क बढ़ाएं।
४. वाणी पर संयम रखें। सबके के लिए मीठे वचनों का प्रयोग करें। कोयल किसी को कुछ देती नहीं, कौआ किसी का कुछ लेता नहीं, मगर कोयल मीठी आवाज के कारण सबको लुभाती है, जबकि कौआ अपनी कर्कश आवाज के कारण सबकी उपेक्षा का पात्र बनता है।
५. क्रोध को काबू में रखें। कई बार दफ्तर में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ जाता है, जिसके लिए हम तैयार नहीं होते। ऐसी स्थिति में अकसर लोग खुद पर काबू नहीं रख पाते, क्रोध में लड़ाई-झगड़ा कर बैठते हैं और की मनः किसी के संबंध खराब न करें।
६. अहंकार से दूर रहें। अहंकारी व्यक्ति से कोई दूसरों का सहयोग नहीं मिल पाता। इसलिए विनम्र बनें।
७. मादक पदार्थों से दुरी बनाए रखें, क्योंकि शरीर के लिए तो ये नुकसानदेह हैं ही, आपसी रिश्तों पर भी इनका बुरा प्रभाव पड़ता हैं।
८. धोखा देने की प्रवृत्ति अपने अंदर न पनपने दें। धूर्त-मक्कार व्यक्ति से कोई भी मेल-जोल बढ़ाना पसंद नहीं करता और वह अकेला पड़ जाता है। - महाशय धर्मपाल

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